लोगों को मैं कभी ना भाता हूं और कविता लिख कर पछताता हूं। लोगों को मैं कभी ना भाता हूं और कविता लिख कर पछताता हूं।
प्रकृति से खिलवाड़ का सबक बर्बादी का ये मंजर मिला। प्रकृति से खिलवाड़ का सबक बर्बादी का ये मंजर मिला।
हमें खुली जुल्फों में अच्छी लगती है हमें खुली जुल्फों में अच्छी लगती है
कभी किसी का नहीं हुआ हर दम ये सुनता रहता हूं कभी किसी का नहीं हुआ हर दम ये सुनता रहता हूं
गुम हुआ जीवन से आनंद, करें फिर कुछ मनपसंद गुम हुआ जीवन से आनंद, करें फिर कुछ मनपसंद
कला, संस्कृति, प्रतिमाएं, गुंबद और गिरजा घर, सब चुप है, कला, संस्कृति, प्रतिमाएं, गुंबद और गिरजा घर, सब चुप है,